मेरे नगमो में कोई तो है ,जो इस महफ़िल में घुल गया है ,
कुछ तो है जो इस दिल से उस दिल तक गया है ,
आज जज्बातों को हरकतों से बयां करते है , पर क्यों ,
आखिर मेरा लब उनके लब से सिल जो गया है ,
कुछ तो है जो इस दिल से उस दिल तक गया है ,
कोशिश में है वो छुपाने की ,चेहरे पे उभरी तमन्नाए ,
मगर इन नजरो से हर रंग धुल गया है ,आज जज्बातों को हरकतों से बयां करते है , पर क्यों ,
आखिर मेरा लब उनके लब से सिल जो गया है ,
झलकाते है वो दुप्पटे से , ख्वाबो से निकालते हैं
पर बेकार है ,ये शख्स उस जिस्म में पल जो गया है -पुनीत
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