उल्फतो में हमने अजब तकदीरी देखी,
वास्ते इस दिल के उन अश्को की फकीरी देखी ,लब्जो के कशीदे उनके खूब थे अकेले में ,
ज़माने भर में उन्ही लब्जो की मसखरी देखी ,
छू लेते थे हर तडपते अरमान को वो ,
गैर ज़ख्मो में उसी मरहम की करीबी देखी ,
समेट लाते थे हर गुफ्तगू की यादो को ,
चंद लम्हों के गुजरने पर सबकी बेनशी देखी ,
क्या कहते हो किसी से , जो तुम पे गुजरी 'चिराग ',
कभी खुद की हरसतो की बदनसीबी देखी .
No comments:
Post a Comment