Saturday, March 5, 2011

Dard

दर्द ---------
लोग  जानते  है  दर्द  मेरा  ,पर  समझते  नहीं  है ,
गर  समझते  है  तो  कुछ  करते  नहीं  है

तालीम  में  कुछ  कमी  रही  है  दोस्तों ,
 सच  को  दफ़नाने  से   लोग  डरते   नहीं  है

बुजुर्ग  तीमारदारी  की   ख्वाहिश  कैसे  पाले  ,
वक़्त  के  दो  टुकड़े  बेटे  ,बचाकर  रखते  नहीं  है

मौजूदा  ज़िन्दगी  में  महंगा  है  सब  कुछ
कि  जेबों  में  पैसे  के  शोले  कभी  बुझते  नहीं  है ,

सड़क  पे  पड़ा  गड्डा  ,सुनता  है  लाख  ताने ,
लेकिन  लोग  है  कि , उस  का  बदन  ढकते  नहीं  है

समेटे बैठा है अख़बार लाखो काले अक्षर ,
असली ज़ामा  किसी का दिखे, ऐसा कुछ लिखते नहीं है,

लिखकर उबाल लाने  में ,मेरा सारा वक़्त गुजर गया,
और लोग है कि चटकारी खबरों के सिवाय, कुछ पढ़ते नहीं है,--------पुनीत