फिदरत -------
महफ़िल सज़ चुकी ,बस मयखाना बाकी है दोस्तों,
फ़िक्र नहीं गर, अपना संगदिल साकी है दोस्तों
पी लेने दो जामो को, कोई बिखरो ना इन्हें,
आखिर हर घूट ए जाम, किसी ना किसी ज़ख्म को दबाती है दोस्तों
जलाने की फिदरत माना लेके बैठे है पैमाने ,
मय की क्या मजाल जब ,हम शीशो से टकराती है दोस्तों ,
गुरुर झुक जाता है ,धरती का बड़ा होने का,
कसक एक अदद बदली, जब सताती है दोस्तों,
पहले पहल सज़ जाता है हुजूम ,हर दर्द के चारो तरफ माना,
बस हवा ही रह जाती है, पर्दा जब वो उठाती है दोस्तों,
कीमते चूका बैठे है कतरा कतरा भर साँस लेने की,
महफ़िल सज़ चुकी ,बस मयखाना बाकी है दोस्तों,
फ़िक्र नहीं गर, अपना संगदिल साकी है दोस्तों
पी लेने दो जामो को, कोई बिखरो ना इन्हें,
आखिर हर घूट ए जाम, किसी ना किसी ज़ख्म को दबाती है दोस्तों
जलाने की फिदरत माना लेके बैठे है पैमाने ,
मय की क्या मजाल जब ,हम शीशो से टकराती है दोस्तों ,
गुरुर झुक जाता है ,धरती का बड़ा होने का,
कसक एक अदद बदली, जब सताती है दोस्तों,
पहले पहल सज़ जाता है हुजूम ,हर दर्द के चारो तरफ माना,
बस हवा ही रह जाती है, पर्दा जब वो उठाती है दोस्तों,
कीमते चूका बैठे है कतरा कतरा भर साँस लेने की,
फिर भी ब्याज दर ब्याज, ज़िन्दगी चुकाती है दोस्तों ---पुनीत