वो ख्वाबो के बादलों----------
वो ख्वाबो के बादलों में कभी दिखा कभी छुपा छुपा सा,
मौजूदगी में उनकी हर पल कभी चलता कभी रुका रुका सा,हवाओ के काफिले साथ लाते है एक नया पैगाम,
ना समझने पे आँचल कभी भीगा कभी सुखा सुखा सा,
कुछ कम है सन्नाटे भरे दिन तरसती राते,
फिर भी चाँद कुछ उजला कुछ बुझा बुझा सा,
तस्वीर बन कर उनकी किताबो में हम है ,
शायद हो रंग -ए -तस्वीर कुछ जमा कुछ धुला धुला सा,
हकीक़त दिल की बयां हो और दूर हो जाए वो,
शायद है दिल कुछ बेख़ौफ़ कुछ डरा डरा सा,